
22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की सुरक्षा रणनीति तेज़ हो गई है। रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बीच एक अहम बैठक आयोजित की गई, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल भी शामिल थे। यह बैठक लगभग 40 मिनट तक चली।
बैठक ऐसे समय में हुई जब पाकिस्तान की ओर से कश्मीर सीमा पर लगातार उकसावे वाली फायरिंग की जा रही है, और भारत सीमापार आतंकी नेटवर्क पर कड़ा जवाब देने की योजना बना रहा है।
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सेना प्रमुखों से पहले ही हुई थी बातचीत
बैठक से पहले, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने CDS जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ भी लगातार बैठकें की थीं। रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री को जम्मू-कश्मीर की जमीनी सुरक्षा स्थिति और सैन्य तैयारियों से अवगत कराया।
भारत के विकल्प: जवाब तय
पहलगाम हमले में 26 पर्यटकों की जान गई, जो विभिन्न राज्यों से यात्रा पर निकले थे। भारत सरकार ने इस हमले की सीमापार साजिश का संकेत देते हुए कहा है कि हमले में शामिल लोगों को कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाएगी। चर्चा में यह भी शामिल रहा कि डिप्लोमैटिक, साइबर और सैन्य विकल्पों पर किस तरह से एक साथ काम किया जाए।
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LOC पर तनाव, सेना की कार्रवाई
वहीं दूसरी ओर, पाकिस्तान LOC पर बार-बार युद्धविराम का उल्लंघन कर रहा है, लेकिन भारतीय सेना भी उसे करारा जवाब दे रही है। जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों ने आतंकी नेटवर्क के खिलाफ बड़े पैमाने पर ऑपरेशन शुरू कर दिए हैं और अब तक 10 आतंकियों के ठिकानों को ध्वस्त किया जा चुका है।
भारत ने दिखाई आक्रामक तैयारी
पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार न केवल कूटनीतिक रूप से सक्रिय है बल्कि सैन्य विकल्पों पर गंभीरता से विचार कर रही है। रक्षा मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय में लगातार समन्वय से यह संकेत मिल रहा है कि अब भारत आतंकवाद के खिलाफ कड़ा और निर्णायक रुख अपनाने को तैयार है।